श्री गणेशाय नमः
वास्तु- शास्त्र सम्बंधित कुछ टिप्स
( भाग १ )
प्रिय मित्रो ,
आपसभी के समक्ष श्रृखला बद्ध तरीके कुछ आवश्यक किन्तु सरल नियमो को रख रहे है , जो आप के लिए बहुत उपयोगी सिद्ध होगे ऐसा मेरा मानना है ! भाग एक जो शयन से सम्बंधित है , प्रस्तुत है !
दैनिक दिनचर्या में अगर निम्नाकित आवश्यक वास्तु नियमों का पालन किया जाए तो ऊर्जा के विकाश में गति तो होगी ही साथ ही साथ बीमारियों से भी दूर रहकर स्वस्थ एवम समृद्ध जीवन जिया जा सकता है !
शयन हेतु कुछ आवश्यक नियम
१. हमेशा दक्षिण की ओर सिर रख कर सोना चाहिए !
२. पश्चिम - दक्षिण कोना , या पश्चिम दिशा शयन हेतु द्वितीय उत्तम अवस्था है !
३ उत्तर की ओर सिर करके कभी नहीं सोना चाहिए !
४ इशान की ओर भी सिर करके नहीं सोना चाहिए !
( उपरोक्त दिशाए इस लिए बताई जा रही है क्योकि मैग्नटिक फ़ील्ड के दुष्प्रभाव से बचा जा सके ! )
अन्य नियम ,
५ बहुत ऊंची खाट , मैली खाट , टूटी खाट पर नहीं सोना चाहिए
6 सिर नीचा करके नहीं सोये !
7 बहुत ऊंची तकिया लगाकर नहीं सोये !
८. जूंठे मुह , भीगे पैर रख कर , मुख में ताम्बूल , पान मसाला आदि रख कर नहीं सोना चाहिए !
९ कभी भी नग्न-अवस्था में नहीं सोना चाहिए , आयु कम होती है !
१० सिर पर पगड़ी अथवा , जाड़ो में गरम टोपी लगाकर नहीं सोना चाहिए !
११. घुटने से नीची चारपाई या बेड पर सोने से घुटने की बीमारिया होती है !
१२. सोने से पूर्व ध्यान , बड़ो को प्रणाम करके सोना चाहिए !
१३. बेड के नीचे कुछ भी नहीं रखना चाहिए , आज कल बॉक्स बेड का प्रचलन अनिद्रा अथवा अतिनिद्रा की बीमारिया लाता है !
१४ बेड का सिरहाना दीवार के पास हो बीचोबीच कमरे में नहीं सोना चाहिए !
१५. काले या बहुत डार्क रंग की बेडशीट या तकिया लगाने से डरावने स्वप्न बहुत आते है अतः light कलर की बेडशीट बिछाए !
१६. छोटे बच्चो को इतिहास , पुराण की प्रेरक कहानिया सुना कर सुलाए जो चरित्र निर्माण में सहायक होती है !
अंत में यदि सयुक्त परिवार में है , यदि संभव हो सके तो अपने से बड़ो की यथा संभव सेवा करके ही सोये बड़ो , बुजुर्गो का आशीवाद बहुत आवश्यक है !
भगवान् श्री राम भी सोने से पूर्व गुरु के चरणों की सेवा अवश्य ही करते थे ! कृपया राम चरित मानस का सन्दर्भ ले ,
निशि प्रवेश मुनि आयसु दीन्हा , सबही संध्या बंदनु कीन्हा !!
कहत कथा इतिहास पुरानी , रुचिर रजनि जुग जाम सिरानी !!
मुनिवर सायन कीन्हि तब जाई , लगे चरण चापन दोउ भाई !!
जिन्हके चरण सरोरुह लागी , करत विविध जप जोग बिरागी !!
तेई दोउ बन्धु प्रेम जणू जीते , गुरु पद कमल पलोटत प्रीते !!
बार बार मुनि आज्ञा दीन्ही , रघुबर जाई सयन तब कीन्ही !!
प्रणाम ,
स्वामी अनंत चैतन्य
लखनऊ

pranam
ReplyDeleteswami ji pranam, asha hai bhawishy mai bhi aise hi tips dete rahaige.
ReplyDeleteक्या ये संभव है की प्रत्येक निर्देश के बाद एक पंक्ति में आप उसका कारण भी लिखें . आखिर हर बात के पीछे एक तर्क तो होना चाहिए
ReplyDeleteइस नए सुंदर चिट्ठे के साथ आपका ब्लॉग जगत में स्वागत है .. नियमित लेखन के लिए शुभकामनाएं !!
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